07 अक्तूबर 2007

क्या होती है नाडी?


नाडी शब्द का अर्थ कही जगह पर लिया जाता है,अक्सर नाडी को जब किसी वारा वधु के विवाह को मिलाया जाता है तो नाडी का मिलान करते है,जब हम बीमार पड़ते है तो डाक्टर के द्वारा नाडी को देखकर पता किया जाता है कि हमें कौन सी बीमारी है.एक बार सांस लेने और छोड़ने के समय को भी नाडी कहा जाता है,दक्षिण भारत में जो ऋषियों ने ग्रन्थ लिखे और उनके अन्दर जीवन की बातें लिखी वे भी नाडी ग्रन्थ कहलाते है.इनकी संख्या ७० और ७२ के आसपास है लेकिन वर्त्तमान में केवल बीस पच्चीस ही मिलते है,उनके अन्दर जो मुख्य नाम है वे इस प्रकार से है:-
  1. देवाकेरालम या चन्द्रकला नाडी
  2. कपिला नाडी
  3. कमला मुनी नाडी
  4. शुक्र नाडी
  5. बुद्ध नाडी
  6. सप्त ऋषी नाडी
  7. सत्य नाडी
  8. सूर्य नाडी
  9. नवा नाडी
  10. कुमार नाडी
  11. ईश्वर नाडी
  12. मारकंडे नाडी
  13. भृगु नाडी
  14. ध्रुव नाडी
  15. कुज नाडी
  16. काका भुजंगर नाडी
  17. शनि नाडी
  18. अगस्त नाडी
  19. गर्ग नाडी
  20. गुरु नाडी
  21. जेमिनी नाडी
  22. भृगु नंदी नाडी
  23. ईश्वर नाडी
  24. कला नाडी
  25. गन्धर्व नाडी
  26. अमरक नाडी
  27. बरतानानिक नाडी
  28. रस नाडी
  29. कुलिक नाडी
  30. कॉल नाडी
  31. सांख्य नाडी।
नाडी ज्योतिष को समझने के लिये पहले नाडी के स्थान को समझने की जरूरत है,एक राशि में एक सौ पचास नाडियां अपना अपना प्रभाव देती है,एक राशि के एक सौ पचास भाग करने के लिये ३०/१५०=१/५ मतलब एक अंश का पांचवां हिस्सा एक नाडी का मान माना जायेगा। इन नाडियों का अलग अलग राशियों में अलग अलग स्थान होता है,जैसे वसुधा नाडी मेष,कर्क,तुला और मकर में पहला हिस्सा होगा,वृष सिंह वृश्चिक और कुम्भ राशि में इसी नाडी का स्थान १५० वें भाग में होगा और मिथुन कन्या धनु और मीन राशियों में इसका स्थान राशि के ७६ वें हिस्से में होगा।

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