25 फ़रवरी 2010

कालसर्प योग का प्रभाव (मेष राशि के एक से दस अंश तक)

कालसर्प योग का प्रभाव कुंडली में भचक्र की राशियों में इस प्रकार से पडता है:-
  1. पहली डिग्री में राहु के होने पर वह सबसे पहले सम्बन्धों पर असर डालता है,उसके बाद नाना परिवार और बाद में बहिन बुआ बेटी के खानदान और व्यापार के साथ शरीर के अवयवों पर प्रभाव डालता है। इस डिग्री पर केतु के होने पर वह शुरु में तो उपरोक्त कारकों में रक्षा करता है लेकिन जवानी के समय के समय किसी ना किसी कारण से शरीर के अंग को नेस्तनाबूद करता है।
  2. दूसरी डिग्री पर होने राहु सबसे पहले भाई और अपने खून पर असर डालता है,बाद में पति है तो पत्नी और पत्नी है तो पति के ऊपर अपना असर डालता है,अक्सर भाई के ऊपर उसकी पत्नी पर इस राहु का प्रभाव अधिक पडता है और जातक अपनी उम्र की पच्चिसवीं साल तक उसे अपने परिवार से बेदखल ही रखता है,लेकिन उम्र की पैंतीसवीं साल से जातक की हालत उसी भाभी के द्वारा खराब कर दी जाती है अगर बहिन है तो बहिन के पति के द्वारा उसकी जिन्दगी को बरबाद कर दिया जाता है। केतु के होने पर व्यक्ति को जीवन शुरुआती या शिक्षा के समय में गलत संगति मिल जाती है जातक का ध्यान वाहन दौड और खेलकूद लडाई झगडों की तरफ़ अधिक चला जाता है। लेकिन उम्र की सत्रहवीं साल से वह अपने जीवन के बारे में सोचने लगता है,अक्सर इस डिग्री के केतु के द्वारा जातक की शादी जल्दी ही करवा दी जाती है।
  3. तीसरी डिग्री पर राहु के होने पर माता के खून पर बहुत बुरा असर पडता है और राहु का स्थान इस स्थान पर होने पर जातक की माता को जातक की एक साल की उम्र तक अधिकतर अस्पतालों में चक्कर लगाने पडते है उसके किसी भाई या खून के रिस्तेदार की मौत भी किसी हादसे में होती है,जातक की उम्र की अठाहरवीं साल के बाद उसका मन तकनीकी कारणों में अधिक लगने लगता है और वह किसी न किसी कारण से अपने द्वारा कोशिशे करने के बाद किसी रक्षा सेवा या इन्जीनियरिंग लाइन में अपने स्थान को ग्रहण करने के योग्य बना लेता है। इस स्थान पर केतु के होने पर शरीर के अवयवों में अधिकतर चोटें लगती है और जातक के पैदा होने के बहुत साल तक या तो कोई सन्तान पैदा नही होती है और होती भी है तो वह जातक से दूर रहती है या जातक के साथ हमेशा मानसिक और शारीरिक भेद भाव रहता है इस प्रकार के जातकों के अन्दर दया नही होती है वह किसी भी कारण से हत्या करने जैसे जघन्य अपराध भी कर सकता है।
  4. इस अंश पर राहु के होने पर सबसे पहले माता और फ़िर पिता तथा बाद में ननिहाल खानदान पर असर जो अक्सर बुरा होता है,मिलता है। माता के बाद जातक की पुत्री पर फ़िर पुत्र और बाद में ससुराल खानदान और बुढापे में शरीर के अवयवों पर अधिक असर पडता है। राहु का प्रभाव व्यक्ति की जुबान पर बहुत पडता है उसके अन्दर छल करने वाली आदत का पैदा हो जाना आम बात है,जब भी कोई स्वार्थ वाली बात सामने आती है तो जातक अपने स्वार्थ के लिये कोई भी चाल चल सकता है,जातक के ससुराल खान्दान वाले अक्सर जातक से अपने लिये आर्थिक सहायता के लिये अपना जाल बिछाते रहते हैं। इस स्थान पर केतु के होने पर जातक की माता को मानसिक बीमारी के होने का असर अधिकतर देखा जाता है,जातक का पिता भी अपने कारणों से या गलत सलत धन्धे करने के बाद अपने खुद के परिवार से कटा होता है और अपने ही कारणों से अपने को बरबाद करने का कारण माना जाता है,उसकी काम करने की नीति में स्थिरता नही होती है वह आज यह और कल वह काम करने का अधिकारी होता है,अधिकतर परिवार का भार माता के ऊपर होता है वह किसी प्रकार से कपडे या अन्य प्रकार के सहायता वाले कामो को करने के बाद अपने परिवार का पालन पोषण करती है।
  5. पांचवी डिग्री पर राहु के होने पर जातक का जीवन हमेशा खतरे में होता है,जातक को सांस वाली बीमारियां होना और शरीर में ज्ञानेन्द्रियों के देर से विकसित होने के कारण जातक शुरु में मन्द बुद्धि जैसा ही लगता है लेकिन जैसे जैसे उम्र बढती जाती है जातक की बुद्धि अपने आप पनपती जाती है,अधिकतर इस अंश वाले जातक किसी ना किसी प्रकार की बीमारी के कारण काल के गाल में पहली ही साल में समा जाते है और अगर भाग्यवश बच भी जाते है तो उनके लिये आजीवन कभी भी ऊपर जाने का रास्ता खुला होता है। इस अंश के राहु वाला जातक मनोवैज्ञानिक कारणों को जानने वाला और गैस और शक्ति के साधनों में अपनी जानकारी अच्छी रखता है,जातक को पेट्रोल डीजल गैस बिजली की अच्छी जानकारी होती है,यातायात के साधनो में वह हवा में चलने वाले वाहनो का अच्छा जानकार होता है अगर वह किसी प्रकार से विदेश में चला जाता है और पैदा होने वाले अंश से पैंतालीस अंश की दूरी दक्षिण पश्चिम में अपना निवास बना लेता है तो उसकी प्रकृति अचानक परिवर्तित हो जाती है और वह अपनी पूरी उम्र जीने का अधिकारी बन जाता है। इस स्थान पर केतु के होने पर जातक साधु स्वभाव का और माता के साथ निवास करने वाला माना जाता है माता के बाद उसकी प्रीति अपनी बडी बहिन या मौसी के अन्दर अधिक रहती है। अक्सर जातक के साथ जीवन में छल ही किये जाते है जातक को विभिन्न तरीकों से ठगा जाता है। वह जिस पर भी अपना विश्वास करता है वह किसी ना किसी बात से ठगने की कोशिश करता है। जातक की पत्नी या पति भी उसके साथ जीवन भर अपने स्वार्थ की पूर्ति करने का साथी होता है,जातक को बुढापे में कष्ट देने के लिये उसके अपने ही लोग माने जाते है।
  6. इस अंश पर राहु के होने पर जातक की शिक्षा उच्च कोटि की होती है,वह इन्फ़ोर्मेशन तकनीक का अच्छा जानकार होता है उसे बात करने का अच्छा अनुभव होता है किसी भी अन्य भाषा को अच्छी तरह से समझने की आदत होती है। वह अपनी बातों को सीमित भी करता है लेकिन जो भी बात उसके द्वारा की जाती है वह बुद्धिमानी भरी होती है। इस श्रेणी के अन्दर अधिकतर वैज्ञानिक ही पैदा होते है,और किसी ना किसी क्षेत्र में अपना नाम और कार्य जनता के लिये प्रकाशित करते है। इस अंश पर केतु के होने पर जातक अपना पद किसी बडे तकनीकी कारण से जोड कर रखता है वह या तो रक्षा सेवा में अपना पद सम्भालता है अथवा वह चिकित्सा के क्षेत्र में अपना नाम किसी बीमारी के शोध के द्वारा बनाता है। सूक्षम अंश में साधनो को सम्भालने का काम उसे अन्य लोगों से अच्छा आता है,कम्पयूटर और सोफ़्टवेयर के मामले में उसका ध्यान अधिक लगता है। केवल इस प्रकार के जातकों के अन्दर एक बुराई देखी जाती है कि वह अपने अधिक बडप्पन के कारण झूठ बोलने की आदत को अपना लेता है और इसी बुराई के कारण अपने महत्वपूर्ण अवसरों को खोने भी लगता है,इस डिग्री के केतु पर अगर शनि का प्रभाव हो जाता है तो जातक अपने बुद्धि विवेक के द्वारा वकालत या जज वाली सेवाओं को भी अपना लेता है।
  7. इस अंश पर राहु के होने पर जातक के पैदा होते ही जातक के पिता के द्वारा किये जाने वाले कामो पर असर पडता है। जातक के निवास स्थान में कोई ना कोई कष्ट बढ जाता है,जातक को पैदा होने के बाद अचानक कई तरह की सर्दी वाली बीमारियां खाज खुजली होती रहती है,पाचन क्रिया के सही नही होने के कारण वह अक्सर सूखा रोग आदि से पीडित भी होता है। जातक की शिक्षा के समय भी कई तरह के अवरोध पैदा हो जाते है और जातक की शिक्षा पूरी नही हो पाती है,जातक के जीवन में धन का अभाव ही बना रहता है,वह रोजमर्रा की वस्तुओं के लिये भी परेशान होता है,वह जहां भी कार्य के लिये अपने प्रयास करता है उसे परेशानी ही रहती है। उसके जीवन साथी के साथ विचार सही नही मिल पाते है,अक्सर पत्नी के विचार से वह अकर्मण्य के रूप में देखा जाता है अथवा पत्नी होने पर वह किसी भी घर के कार्य को सही नही करती है और अपने जीभ के स्वार्थ के लिये वह अपने किसी भी धन को बरबाद करती है। इस स्थान पर केतु के होने पर जातक को जीवन में कोर्ट केश और वकालत वाले कामों में उलझे रहना पडता है,वह कुत्ते की तरह जीवन भर भागता ही रहता है,भयंकर मेहनत करने के बाद उसे भोजन का भी टोटा होता है। बुढापे में उसके किसी अंग का खराब होना भी मिलता है,उसे सिर की बीमारी और सिर में कीडे पडने जैसे कष्ट भुगतने पडते है।
  8. आठवें अंश पर राहु के होने पर जातक के पिता के ऊपर यह अपना प्रभाव देता है,जातक के जन्म लेने के सात महिने के अन्दर जातक के पिता के साथ घात होती है,अक्सर जातक के पिता को किसी भयंकर अपघात के कारण मृत्यु जैसे कष्ट भी झेलने के लिये मिलते है। किसी प्रकार की बदनामी या किसी सामाजिक व्यवस्था के कारण उसे समाज से बुरी नजर से भी देखा जाता है। जातक के शिक्षा और बुद्धि वाले कारणों में भी यहां का राहु असर देता है और जातक की शिक्षा पूरी नही हो पाती है वह आवारा होकर घूमने लगता है अथवा किसी गलत कार्य के अन्दर चले जाने के कारण वह अपने समाज कुल और मर्यादा का हनन करता है। इस अंश पर केतु के होने पर जातक को पिता के बाद परिवार की स्थिति को संभालने और पिता वाले कार्य करने का सामना करना पडता है पिता को किसी ना किसी प्रकार की बीमारी या बेकारी जातक के जन्म के बाद पनपने नही देती है,जातक का पिता दूसरों के काम तो बडी आसानी से कर लेता है,और अपने परिवार के कामों को करने पर उसका मन नही लगता है इसलिये अक्सर परिवार और घर में पिता के कारण क्लेश ही रहता है। माता के अकारण क्रोध करने और अपने शरीर को जलाने के कारण कई तरह की आंख और आंतों वाली बीमारियां पैदा हो जाती है,इस अंश के केतु वाले जातक अक्सर अपने ही घर में अपने ही काम में मस्त रहने वाले होते है उन्हे दुनियादारी और देश समाज से कोई लेना देना नही होता है जो जहां कह देता है वही चले जाना उनका काम होता है।
  9. नवें अंश पर राहु का स्थान होने पर जातक की बुद्धि अचानक काम करने वाली होती है वह अपने अनुसार गणित और इन्जीनियरिंग वाले क्षेत्रों में अपना नाम करने वाला होता है,जातक को कपडे की अच्छी जानकारी होती है,जातक कम्पयूटर और संचार वाले क्षेत्र की शिक्षा को आराम से ग्रहण करने वाला होता है जातक के लिये शिक्षा के क्षेत्र में जाने और खेलकूद की महारतता हासिल करने का अच्छा अवसर आता है,शरीर का निर्माण गोल होने और अपनी बुद्धि को सही जगह प्रयोग करने पर इस प्रकार के जातक जल्दी से धन कमाने वाले क्षेत्रों की तरफ़ जल्दी से चले जाते है,उन्हे अपने बुद्धि विवेक से काम करने पर राहु लगातार आसमान की ऊंचाइयो तक चढाता चला जाता है,अक्सर इस अंश के राहु वाले जातक धोखेबाज के रूप में भी जाने जाते है कब कहां वे किसके साथ धोखा कर दें और अपने स्वार्थ के लिये अपने पूरे परिवार को भी त्याग कर दूसरे परिवार में चले जाने और अपनी पहिचान छुपाने तथा गलत नाम आदि का प्रयोग करने के कारण वे अपनी पहिचान जीवन के आधे भाग में ही छुपा लेते है अक्सर इस अंश में पैदा होने वाले जातक विदेश जरूर जाते है,और अपने दूसरे नाम से भी जाने जाते है। इस अंश पर केतु के होने पर जातक का घर उसकी बहिन बुआ बेटी के द्वारा बरबाद किया जाता है। उसे अपने कारणों से अपने बहिन बुआ बेटी के परिवार वालों को बढाने से फ़ुर्सत नही मिलती है,उसकी ली जाने वाली शिक्षा का फ़ल भी उसकी बहिन बुआ या बेटी के लिये ही समर्पित होता है,अक्सर इस अंश वाले केतु के कारण जातक के नर संतान नही होती है।
  10. दसवें अंश के राहु वाले जातक के लिये राहु अपना असर बहुत ही गलत देता है वे संसार में आते तो है लेकिन वे किसी भी कारण से अपनी पहिचान नही बना पाते है,उनके स्वभाव मे करके सीखने की आदत होती और वे किसी धनी से धनी घर में जन्म लें तो भी वे दूसरों के कहने से ही काम करने वाले होते है,चालाकियां और अपना पराया तथा छुप कर रहना उनके स्वभाव की बात होती है। उनके जीवन साथी वाला प्रभाव अक्सर पढे लिखे खानदान से होता है और वे आजीवन अपने जीवन साथी की गुलामी में ही गुजारने के लिये मजबूर होते हैं। इस अंश पर अगर केतु होता है तो वह जातक को वकालत या किसी काम धन्धे का मालिक बना देता है वह अपने प्रयासों से जातक के पास अथाह सम्पत्ति को प्रदान कराने वाला होता है जातक का प्रभाव अचल सम्पत्ति की तरफ़ अधिक जाता है और कम उम्र में ही वह दूसरों के लिये भी और अपने लिये भी सम्पत्ति का निर्माण कर देता है बाकी के परिवार वाले भी उसके कामो से फ़ायदा उठाते है,जातक के जान पहिचान वाले भी जातक की सेवाओं का अवसर उठाकर अपनी जायदाद और रहने वाले स्थानों के लिये परिपूर्ण हो जाते है।

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