01 अप्रैल 2010

धनु राशि में नाडी प्रभाव

धनु राशि गुरु की राशि है और गुरु के शत्रु बुध और शुक्र दोनो है,बुध का प्रभाव धनु राशि के लिये जीवन में जीवन साथी के प्रति भी माना जा सकता है और कार्य के क्षेत्र के मामले में भी बुध का योगदान होता है उसी प्रकार से शुक्र का योगदान कजा दुश्मनी बीमारी से भी माना जाता है और लाभ तथा काम करने के बाद मिलने वाले फ़ायदे नुकसान के लिये भी जाना जाता है। धनु राशि को समाज संस्कृति और भाग्य धर्म के लिये सर्वोपरि माना जाता है,एक बार में ही सभी बातों को समझने के लिये धनु राशि का व्यक्ति बहुत ही चिन्तित होता है,उसे समझने की जरूरत नही पडती है वह हमेशा लडाइयां ही बुध और शुक्र के लिये ही लडता है,इसी लडाई में कभी उसकी हार होती है और कभी उसकी जीत होती है। राशि अपना काम करती है लेकिन नाडी किस प्रकार से काम करती है उसके बारे में आपको जानकारी दे देते हैं। धनु राशि द्विस्वभाव वाली राशि है,इस राशि में जो अंशों के अनुसार तीस अंशों में १५० नाडियां क्रम से कैसे स्थान बनाती है वे इस प्रकार से हैं-
  1. महामारी नाम की नाडी अपने स्वभाव के अनुसार ही कार्य करती है,इस नाडी में जन्म लेने वाला जातक जहां भी रहता है वह अपने अनुसार किसी न किसी प्रकार का अतिक्रमण फ़ैलाये रहता है,कहने का मतलब होता है कि इस प्रकार के जातक के निवास के आसपास कम से कम सौ बीमारियां अपने आप चलती फ़िरती रहती  है,राहु अगर जातक की कुंडली में त्रिक भाव में है तो समझना पडता है कि वह या तो हमेशा दुश्मनी फ़ैलाये रहेगा,अथवा उसके आसपास कर्जा लेने या देने वाले लोग घूम रहे होंगे,अथवा वह किसी न किसी प्रकार की बातों को करने के बाद पूरे समाज या रहने वाले स्थान में आपस में बैर भाव और मारकाट वाली बातें फ़ैलाने में सिद्ध हस्त होगा। जातक का दबदबा काफ़ी अच्छा होने के कारण जातक के अनुसार ही परिवार और घर के लोग अपना व्यवहार करना शुरु कर देते है,भाई बहिनो की संख्या दो और दो होती है,हर भाई बहिन के नाम के अन्दर छोटी इ की मात्रा का सयोंग होता है,चाहे वह बोलने के नाम में हो या फ़िर लिखे पढे जाने वाले नाम के अन्दर। जो भी नाम जातक या जातिका का लिया जाता होगा उसका ठीक उल्टा उसके घर परिवार में हो रहा होगा,जैसे नाम मनोरमा होगा तो उसके घर परिवार या ससुराल में सभी कुछ नाम और औकात को बरबाद करने वाला होगा,जातक अगर पुरुष है तो चार भाई होंगे और स्त्री है तो चार बहिन और एक भाई होगा,माता का नाम अक्षर न से शुरु होरहा होगा,और किसी शमशानी देवी के नाम से उसका नाम शुरु हो रहा होगा,  जैसे नंदिता नंदिनी आदि । उसके पिता का नाम किसी धन देवी के नाम से अक्षर ल से शुरू हो रहा होगा जैसे लक्ष्मीकांत लक्ष्मीनारायण आदि। जातक या जातिका का छोटा भाई या बहिन का नाम तुला राशि के बडे रा से शुरू हो रहा होगा,बडे का नाम अक्षर क से तीन अक्षर का नाम होगा जैसे कमल कंचन आदि। जातक का स्वभाव अपने पति या पत्नी के साथ एक साथ रहने का होगा,वह अलग अलग नही रह सकता है,और अलग अलग तभी रह सकता है जब पत्नी या पति ने किसी व्यभिचार का रास्ता अपना रखा होगा.
  2. सुशीतला इस नाडी के अन्दर जन्मे जातक या जातिका का नाम किसी प्रकार से ठंडी प्रकृति के नाम से शुरु होता होगा,जैसे शीतलप्रसाद,शीतला आदि। जातक या जातिका का पैदा होने के दूसरे महिने या दूसरी साल में घर बदल गया होगा,उसके एक छोटा भाई होगा जो बडे भाई को अपने अनुसार चलाने में समर्थ होगा,अक्सर छोटा भाई लडाई झगडे में अधिक रहता होगा,जातक या जातिका के पहला बच्चा मंद बुद्धि का होगा और उसके मुंह से लार हमेशा चला करती होगी। उसकी माता का नाम दो अक्षर का होगा और अक्षर व से शुरु होता होगा,जैसे वीणा,बीना,विनी आदि,माता की आदतों में परिवार या घर की बातें बाहर कहने की आदत होगी और वह हमेशा किसी भी नये सदस्य जो घर में आते है उनकी खातिरदारी में अपने मन को लगाने वाली होगी,बुजुर्ग औरतों से अधिक प्रेम होगा,माता अक्सर तीन बहिने होती है और सबसे बडी बहिन का देहान्त शादी के बाद और दो पुत्र तथा एक पुत्री के पैदा होने के बाद हो जाता है माता के बहनोई जो उम्र में काफ़ी बडे होते है जातक की माता के साथ रिस्ते बनाने की कोशिश करते है,लेकिन माता की सजगता के कारण वे सफ़ल नही हो पाते है माता की बडी बहिन के देहान्त के बाद वे दूसरी शादी करते है या कोई अनैतिक रिस्ता बनाकर रहते है,लेकिन बहनोई की मौत उनके पुत्र के कारण या पुत्र के द्वारा ही मानी जाती है। जातक के पिता का नाम अक्षर य से शुरु होता है और वह अपनी बातों में काफ़ी तेज होता है जातक के पिता को काफ़ी दूर दूर के लोग जानते है,वह जिससे भी बात करता है उसकी बातों और उसके कामो को काफ़ी लोग काफ़ी समय तक अच्छे या बुरे के लिये याद रखते है। जातक के पिता का धन अक्सर धर्म या विदेश या यात्रा वाले साधनों से आता है,कानूनी रूप से वह अधिक आगे होता है,उसके दो छोटे भाई होते है लेकिन एक ही अपनी संतान को आगे बढा पाता है दूसरा या तो खत्म हो गया होता है अथवा वह नि:संतान ही रहता है। 
  3. सुभगा अक्सर इस नाडी में स्त्री जातक का ही जन्म होता है,अगर किसी प्रकार से पुरुष जातक का भी जन्म होजाता है तो उसके अन्दर भी स्त्री जातकों वाली बातें पायी जाती है। जातक का नाम चार या पांच अक्षर का होता है,और अधिकतर मामलों में उ से नाम उच्चारित किया जाता है जैसे उमाशंकर उम्मेद सिंह उत्तानपाद आदि,नामो से जातक को जाना जाता है। जातक की वाणी बहुत कोमल होती है और जातक का आसपास के लोगों के साथ चलने की या तो आद्त होती है अथवा वह अपने में बिलकुल ही अकेला होता है। जातक का घर या तो सरकारी होता है अथवा वह सरकारी भूमि पर अपना मकान बनाकर रहता है,जातक की माता का नाम अक्षर म से होता है,जातक की माता निरामिष भोजन करने की आदी होती है लेकिन पुत्री की पैदाइस के बाद निरामिष भोजन को अपने आप ही त्याग देती है,जातक का पिता दोहरी औकात वाला होता है,या तो उसके पास दोहरी सम्पत्ति होती है अथवा वह नौकरी और व्यवसाय दो काम एक साथ करने वाला होता है,पिता का नाम अक्षर स से शुरु होता होगा,और किसी जानवर या जंगल की वस्तु के नाम से शुरु होता होगा जैसे शेर सिंह शेरू सेम सिंह समपाल सुच्चाराम आदि.जातक का पिता पहले तो दोस्ती करने में माहिर होगा लेकिन जहां से भी दोस्ती करता होगा वहां पर उसे अपमानित किया जाता होगा,जातक का पिता कूटनीति से काम चलाना जानता होगा। जातक की पत्नी या पति काम क्रिया में निपुण होगी,उसका नाम भी अक्षर नीता निशा नीमा होगा,अगर जातिका है तो पति का नाम नीलू नर सिंह नल नन्द आदि होगा। जातक के संतान के मामले में दो पुत्र और एक पुत्री का योग होता है उसे या तो एक पुत्री की सम्भाल अपने परिवार से करनी पडती है,अथवा वह किसी की पुत्री को अपनी पुत्री के माफ़िक पालपोष कर बडा करता है,जातक को देवी मंदिरों मे जाने और अद्रश्य शक्तियों के प्रति काफ़ी विश्वास होगा। मार्च का महिना उसकी बीमारी का होगा,और इस महिने में उसे बुखार या किसी प्रकार के भी इन्फ़ेक्सन से जूझना पडता होगा।
  4. सुप्रभा इस नाडी में जन्म लेने वाला जातक अक्सर अपने माता पिता की पहली नर संतान होती है और अगर वह स्त्री संतान के रूप में जन्म लेता है तो उसके अन्दर पुरुष प्रधान गुण विद्यमान होते है। अक्षर र से तीन अक्षर का नाम निकलता है जो किसी खेलकूद या मनोरंजन के नाम से अर्थ रखता है,जैसे रमल रमन रितिक रसिक रुचिका रमनी आदि से जाना जाता है। जीवन साथी के मामले में चार अक्षर का नाम शुरु होता है और जातक की पत्नी या पति तीन भाई बहिनों के बाद जन्म लेता है,चाहे उसके पहले के भाई या बहिन एबोर्सन या मिस कैरिज से खत्म क्यों ना हो गये हों।
  5. शोभा नामक नाडी में जन्म लेने वाला जातक अक्सर स्त्री जातक होता है,और दो भाई उसके साथ होते है लेकिन पिता का काम भी लोहे से और बिजली से संबन्धित होता है। माता का स्वभाव काफ़ी खरा होता है और माता के आने के बाद ही घर के अन्दर काम धन्धे का ब्यौरा शुरु होता है,जातिका का पिता जन्म स्थान से पूर्व की तरफ़ अपने व्यवसाय या नौकरी को करता है और बुढापे में पेट का मरीज बन जाता है,जातिका को अक्सर वर इकलौता ही मिलता है और पति का नाम चार अक्षर से शुरु होने वाला होता है,वह शब्द अक्सर उजाले से सम्बन्ध रखता है,नाम के अक्षर के शुरु में अक्षर क का जुडा होना पाया जाता है और जातिका संचार के मामले में सिद्धहस्त होती है और हर काम के बाद उसे स्वार्थ ही दिखाई देता है किसी न किसी प्रकार से शादी के दूसरी साल जातिका को सुदूर यात्रा करनी पदती है. आगे अलावा १४५ नाडियों का हाल लिखा जायेगा...................................>

1 टिप्पणी:

  1. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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